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16 फ़रवरी 2015

जिंस कारोबारियों की सीटीटी खत्म करने की मांग

कमोडिटी ब्रोकिंग कारोबार से जुड़ी कई कंपनियां और जिंस एक्सचेंज इस साल बजट में कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (सीटीटी) कम करने या पूरी तरह से खत्म करने की मांग कर रहे हैं। इस कर का सबसे ज्यादा असर सोने-चांदी के वायदा कारोबार पर पड़ा है। सोना-चांदी का सबसे ज्यादा कारोबार एमसीएक्स पर होता है, इसीलिए इस एक्सचेंज ने सीटीटी खत्म करने की पुरजोर मांग की है। फिलहाल गैर-कृषि और प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों पर सीटीटी लागू है, जिससे वायदा एक्सचेंजों का कारोबार लगातार कम हो रहा है।

जिंस वायदा कारोबार से जुड़ीं लगभग सभी ब्रोकिंग एजेंसियां चाहती हैं कि सरकार बजट में सीटीटी पूरी तरह खत्म करे। एमसीएक्स की अगुआई में जिंस एक्सचेंजों ने वित्त मंत्री से सीटीटी खत्म करने की मांग की है। एमसीएक्स के संयुक्त प्रबंध निदेशक पी के सिंघल ने कहा कि भारत ज्यादातर जिंसों का आयात करता है, ऐसे में सीटीटी से घरेलू बाजार में नकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। उनके अनुसार सीटीटी लगाकर घरेलू जिंस बाजार के विकास को रोकना ठीक नहीं है, इसलिए कर खत्म किया जाना चाहिए या इसकी दरों में कटौती होनी चाहिए।

सिंघल के मुताबिक सीटीटी के कारण एक्सचेंजों का कारोबार घटा है। इसका सबसे ज्यादा असर सोना वायदा पर पड़ा है। सोना वायदा बाजार ने भावों में व्यापक अस्थिरता से हितधारकों को सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही गोल्ड डेरिवेटिव्स बाजारों के लिए अनेक उत्पाद शुरू किए हैं। इन उत्पादों का मकसद छोटे हितधारकों को भी बाजार में शामिल करना है। लेकिन दुर्भाग्य से जिंस पर सीटीटी लगने से जिंस वायदा बाजार में सौदा करना महंगा हो गया है। नतीजतन, इन उत्पादों का ज्यादा प्रसार नहीं हो पाया है। हमने सीटीटी के असर को कम करने के लिए ट्रांजेक्शन शुल्क को तर्कसंगत बनाया है। अपने सदस्यों और जिंस से जुड़े कारोबारियों के हित में हमने नीति निर्माताओं से मांग की है कि यदि सीटीटी निरस्त नहीं होता है तो इसे कम से कम न्यूतनम स्तर पर जरूर लाया जाए। 

सिंघल के मुताबिक एनएसईएल संकट ने हमारे सामने अनेक चुनौतियां खड़ी कर दी थीं। इन चुनौतियों से निपटकर हमने नियामक के निर्देशों का अनुपालन करते हुए एक्सचेंज को आगे बढ़ाया है। अब हम हितधारकों में विश्वास कायम करने के साथ ही मुख्य कारोबार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। जिंस बाजार में हेजरों की भागीदारी बढ़ाने के लिए हमने नीतियां और कार्यक्रम तैयार किए हैं। इसके अलावा जरूरत पडऩे पर उत्पादों का दायरा बढ़ाया जाएगा। हमारा मकसद हाजिर बाजार के भागीदारों को जिंसों के कारोबार के लिए शिक्षित करना और हेजिंग के लिए उन्हें जागरूक करना है।
 
एक्सचेंज ने पिछले एक साल में देश के विभिन्न क्षेत्रों में ऐसे 220 जागरूकता और शैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन किया है। हम अपने जिंस तंत्र में वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए अनेक विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के साथ जुड़े हैं। इनके अलावा हम नीति-निर्माताओं से मांग कर रहे हैं कि वे जिंस क्षेत्र में उदारवादी नीतियां बनाए। इसके लिए उन्हें वायदा अनुबंध (नियमन) अधिनियम, 1952 (एफसीआरए, 1952) के संशोधन को पारित करना होगा और जिंस बाजार से कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (सीटीटी) को या तो कम करना होगा या फिर उसे खत्म करना होगा। 

फिलहाल गैर-कृषि जिंसों में एक लाख पर 10 रुपये और प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों के वायदा कारोबार पर एक लाख पर 10 रुपये सीटीटी लगता है। कमोडिटी ब्रोकिंग एजेंसियों का कहना है कि सरकार को सीटीटी से भले ही हर साल करीब 500 करोड़ रुपये की कमाई हो रही हो, लेकिन इससे जिंस एक्सचेंजों के कारोबार में लगातार गिरावट आ रही है। अगर सीटीटी हटाया जाता है तो वायदा कारोबार बढ़ेगा और सरकार के राजस्व के नुकसान की भरपाई दूसरे शुल्कों से हो जाएगी। (BS Hindi)

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