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09 मार्च 2015

कृषि में बागवानी का हिस्सा बढ़ा, अनाज का घटा

कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के कार्यकाल के दौरान धान, गेहूं, चना, रागी, बाजरा, आलू, दूध, मांस और अंडा सहित कई अन्य चीजों की कीमतें वर्ष 2005 से 2015 के बीच काफी तेजी से चढ़ीं।
सरकार द्वारा वर्ष 2012-13 को आधार वर्ष मानकर कृषि एवं सहायक गतिविधियों के उत्पादन के कुल मूल्य का अनुमान लगाने के लिए बनाई गई सहायक समिति की रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान केले की कीमतों में सबसे तेज बढ़ोतरी हुई। समुद्री और देसी मछली की कीमतों में भी काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई। समुद्री मछली की कीमतें 3.2 फीसदी से लेकर 13 फीसदी तक और देसी की कीमत 18.1 फीसदी से 21 फीसदी तक बढ़ गईं।
धान का थोक मूल्य सूचकांक वर्ष 2005-06 में 5.6 फीसदी से बढ़कर वर्ष 2011-12 में 12.7 फीसदी तक पहुंच गया। जबकि रागी की कीमत इस दौरान 1.4 फीसदी से बढ़कर 35.8 फीसदी तक पहुंची। उप समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को कुछ समय पहले ही सौंपी थी लेकिन इसे इस महीने जारी किया गया।
केंद्र ने नए आधार वर्ष 2012-13 के आधार पर कृषि और सहायक गतिविधियों के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में संशोधन किया। नया आंकड़ा 3.7 फीसदी है जो पुराने आधार वर्ष के मुताबिक तय 4.6 फीसदी से कम है।
इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च के कुलपति और निदेशक महेंद्र देव ने बिज़नेस स्टैंडर्ड ने बताया, 'नए आधार के साथ कृषि जीडीपी की गणना के दौरान हमने पाया कि कई आंकड़ों में संशोधन की जरूरत है। हमने इसके लिए सिफारिश की है, कई सर्वेक्षण और विश्लेषण करने की जरूरत है।'
रिपोर्ट दर्शाती है कि कुल कृषि उत्पादों के मूल्य में बागवानी की हिस्सेदारी वर्ष 2004-05 के 28 फीसदी से बढ़कर वर्ष 2012-13 में 32.85 फीसदी हो गई। अनाज की हिस्सेदारी वर्ष 2004-05 में 30.4 फीसदी से घटकर वर्ष 2012-13 में 28.23 फीसदी रह गई।   बागवानी उत्पादों के कुल मूल्य में 82 फीसदी हिस्सेदारी फलों और सब्जियों की होती है। महाराष्टï्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और गुजरात देश में सबसे अधिक फलों का उत्पादन करने वाले राज्य हैं जबकि पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा जैसे राज्य सब्जियों का उत्पादन करने में आगे रहे।
पशुधन उत्पादन के कुल मूल्य में दूध की हिस्सेदारी सबसे अधिक है, इसका मतलब है कि दूध की कीमतों में शायद लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है। मुंर्गी मांस की कीमत वर्ष 2004-05 से 2012-13 के बीच 12,118 करोड़ रुपये से बढ़कर 20,306 करोड़ रुपये तक पहुंच गई जबकि इस अवधि में अंडों की कीमत 5,850 करोड़ रुपये से बढ़कर 8,897 करोड़ रुपये हो गई। (BS Hindi)

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