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20 मार्च 2015

व्हाईट षुगर के निर्यात पर इनसेंटिव नहीं देगी केंद्र सरकार


चीनी का बफर स्टॉक बनाने की भी केंद्र की कोई योजना नहीं
आर एस राणा
नई दिल्ली। किसानों के बकाया पैमेट के भुगतान के नाम पर बार-बार केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाने वाले चीनी उद्योग को इस बार कड़वा घूट पीना पड़ सकता है। केंद्र सरकार चीनी मिलों को व्हाईट षुगर के निर्यात पर कोई इनसेंटिव नहीं देगी, साथ ही सरकार की चीनी का बफ्र स्टॉक बनाने की भी कोई योजना नहीं है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिश्ठ अधिकारी ने मार्किट टाईम्स को बताया कि व्हाईट षुगर के निर्यात पर इनसेंटिव नहीं दिया जा सकता, क्योंकि व्हाईट षुगर पर इनसेंटिव देना विष्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के दिषा-निर्देषों का उल्लगंन होगा। इसलिए केंद्र सरकार चीनी मिलों को व्हाईट षुगर के निर्यात पर इनसेंटिव नहीं दे सकती है। हॉ केंद्र सरकार चीनी मिलों को 14 लाख टन रॉ-षुगर के निर्यात पर इनसेंटिव जारी खरेगी, इसकी घोशणा सरकार पहले ही कर चुकी है। चीनी मिलों को 14 लाख टन रॉ-षुगर के निर्यात पर केंद्र सरकार 4,000 प्रति टन की दर से सब्सिडी उपलब्ध करायेगी।
उन्होंने बताया कि चीनी मिलों की चीनी का बफर स्टॉक बनाने की जो मांग है उसको भी नहीं माना जायेगा, क्योंकि चीनी उद्योग को केंद्र सरकार पहले डी-कंट्ोल कर चुकी है। ऐसे में बफ्र स्टॉक बनाने का कोई मतलब नहीं रह जाता है। मालूम हो कि हर साल किसानों के बकाया भुगतान का हवाला देकर चीनी मिलों केंद्र सरकार से इनसेंटिव के नाम पर मोटी रकम वसूल लेती है। सूत्रों के अनुसार चालू पेराई सीजन में ही चीनी मिलों पर किसानों का 14,500 करोड़ रूपये का बकाया हो चुका है तथा उत्तर प्रदेष और महाराश्ट् में कई चीनी मिलों ने पेराई भी बंद कर दी है।
इंडियन षुगर मिल्स एसोसिएषन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन 2014-15 (अक्टूबर से सितंबर) में 15 मार्च 2015 तक देषभर 221.8 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 28 लाख टन ज्यादा है। पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 193.8 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। चालू पेराई सीजन में इस समय 476 चीनी मिलों में पेराई चल रही है जबकि पिछले साल इस समय केवल 409 चीनी मिलों में पेराई चल रही थी।
चालू पेराई सीजन में देष में 260 लाख टन चीनी उत्पादन होने का अनुमान है जबकि देष में चीनी की सालाना खपत 225 से 230 लाख टन की ही होती है।.......आर एस राणा

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