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30 मई 2015

सुस्ती के बाद प्याज निर्यात ने फिर पकड़ी रफ्तार

सुस्ती के बाद पिछले दो महीने में प्याज के निर्यात में 25 प्रतिशत तेजी दर्ज हुई है। पश्चिम एशिया और श्रीलंका के बाजारों में प्याज कारोबार में प्रतिस्पद्र्धा कम रहने से प्याज का निर्यात उछला है। पिछले चार महीनों से भारत से इसका निर्यात कमजोर रहा था।
दिसंबर 2014 और मार्च 2015 के बीच भारत के प्याज निर्यातकों को पाकिस्तान से कड़ी चुनौती मिल रही थी क्योंकि वहां से आने वाला प्याज गुणवत्ता और कीमत दोनों मामलों में बेहतर था।
दरअसल पश्चिम एशिया में पाकिस्तान से निर्यात होने वाले प्याज की कीमतें भी भारत से आने वाले वाले प्याज के मुकाबले 100 डॉलर कम हुआ करती थीं। इतना ही नहीं, यहां के बाजारों में पाकिस्तान से आने वाले प्याज की गुणवत्ता भी भारत के मुकाबले कहीं अधिक होती थी। दिसंबर और फरवरी-मार्च में बेमौसम बारिश की वजह से भारत में प्याज की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई थी।
प्याज का निर्यात बढऩे के साथ ही बेंचमार्क लासलगांव बाजार में कीमतें मंगलवार को प्रति क्विंटल 1175 रुपये हो गई, जो 2 मई को 1,000 रुपये प्रति क्विंटल थीं। समीक्षाधीन अवधि के दौरान ही प्याज की आवक भी बढ़ी और यह 10,000 टन से बढ़कर 13,000 टन हो गई है। इस महीने अब तक निर्यात कीमतें भी 25-50 डॉलर बढ़कर 375 डॉलर हो गई हैं।
हॉर्टिकल्चर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजित शाह कहते हैं, 'अब पाकिस्तान में प्याज का भंडारण कम हो गया है। लिहाजा विदेशी आयातकों के पास अब भारत से प्याज मंगाने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं रह गया है। हालांकि गुणवत्ता मानक स्तर से कम रहने के बावजूद भारत से निर्यात होने वाले प्याज स्वीकार हो रहे हैं।'
एनएचआरडीएफ द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार पिछले साल अप्रैल-मई के दौरान भारत से कुल 265,066 टन प्याज का निर्यात हुआ था। शाह ने कहा कि इस साल निर्यात में 20-25 प्रतिशत तेजी आई है। हालांकि पूर्व के चार महीनों के दौरान भारत से प्याज का निर्यात कमजोर रहा। (BS Hindi)

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