कुल पेज दृश्य

19 मई 2015

विश्व बाजार में कीमतें कम होने से गेहूं का आयात बढ़ा

विश्व बाजार में कीमतें कम होने से गेहूं का आयात बढ़ा
आस्ट्रेलिया और यूक्रेन से 6.5 लाख टन के हो चुके हैं आयात सौदे
आर एस राणा
नई दिल्ली। विदेशी बाजार में गेहूं की कीमतें कम होने से आयात बढ़ रहा है। चालू सीजन में अभी तक दक्षिण भारत की कंपनियां करीब 6.5 लाख टन गेहूं के आयात सौदे कर चुकी हैं। आस्ट्रेलियन गेहूं का भाव भारतीय बंदरगाह पर पहुंच गत सप्ताह 268.9 डॉलर प्रति टन था।
बंगलुरू स्थित ग्रेन आयात-निर्यात फर्म के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विदेशी बाजार में उपलब्धता ज्यादा होने से गेहूं की कीमतें नीचे बनी हुई है जिसकी वजह से आयात बढ़ रहा है। चाल सीजन में अभी तक भारतीय कंपनियां आस्ट्रेलिया और यूक्रेन से करीब 6.5 लाख टन गेहूं के आयात सौदे कर चुकी है। हाल ही में 1,000 टन गेहूं के आयात सौदे आस्ट्रेलिया से तथा 600 टन के आयात सौदे यूक्रेन से हुए है। आस्ट्रेलिया से आयातित गेहूं का भाव तुतीकोरन बंदरगाह पहुंच 268.9 डॉलर प्रति टन है। उन्होंने बताया कि रुस के साथ यूक्रेन में गेहूं की नई फसल की आवक हो रही है जबकि जून महीने में अमेरिका की फसल आ जायेगी। ऐसे में विदेशी बाजार में गेहूं की कीमतों में तेजी की संभावना भी नहीं है।
गेहूं के थोक कारोबारी संजय गुप्ता ने बताया कि विदेशी बाजार में गेहूं के भाव पिछले साल की तुलना में 30 से 32 फीसदी नीचे हैैं। शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (सीबॉट) में मई महीने के वायदा अनुबंध में गेहूं के दाम 176 डॉलर प्रति टन है जबकि पिछले साल इसके भाव 257.18 डॉलर प्रति टन थे। विदेशी बाजार में आस्ट्रेलियन गेहूं का भाव 237 डॉलर, यूक्रेन के गेहूं का भाव 195 डॉलर और रुस के गेहूं का भाव 193.5 डॉलर प्रति टन है।
पंजाब और हरियाणा की मंडियों में गेहूं के भाव 1,450 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे है जबकि उत्तर प्रदेश की मंडियों में भाव 1,375 से 1,450 रुपये प्रति क्विंटल हैं। चालू रबी विपणन सीजन 2015-16 में गेहूं की सरकारी खरीद 256.26 लाख टन की हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी खरीद 253.10 लाख टन की हुई थी। चालू सीजन में केंद्र सरकार ने गेहूं की खरीद का लक्ष्य 300 लाख टन का रखा है जबकि पिछले साल 280 लाख टन की खरीद हुई थी।
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2014-15 में गेहूं का उत्पादन घटकर 907.8 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसकी पैदावार 958.5 लाख टन की हुई थी। .......आर एस राणा

कोई टिप्पणी नहीं: