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16 मई 2015

द. पूर्व एशियाई और खाड़ी देश जाएगा यूपी का आम

बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की वजह से कृषि और बागवानी फसलों को हुए भारी नुकसान के बावजूद उत्तर प्रदेश में उपजाया जाने वाला आम खाड़ी देशों और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में दस्तक देने के लिए तैयार है। उत्तर प्रदेश के आम उत्पादक क्षेत्रों में लखनऊ (लखनऊ, मलिहाबाद, बक्शी-का-तालाब), सहारनपुर और संभल-अमरोहा-मुजफ्फरनगर जिले शामिल हैं। लखनऊ क्षेत्र विश्वविख्यात प्रख्यात दशहरी किस्म के आम का उत्पादन करता है और राज्य के सालाना 4-4.2 करोड़ टन के आम उत्पादन में उसका लगभग 30 फीसदी का योगदान है। चूंकि लखनऊ और उसके आसपास के इलाकों में आम की फसल को नुकसान काफी अधिक था, इसलिए निर्यात की खेप में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों की अन्य आम किस्मों जैसे लंगड़ा, चौसा, आम्रपाली, मल्लिका आदि को भी शामिल किया जाएगा।

देर से पकने वाली ये किस्में 20 जून के आसपास टूटने के लिए तैयार हो जाएंगी और लगभग 100 टन आम का निर्यात किए जाने की संभावना है। शहनाज एक्सपोट्ïर्स के प्रमोटर नदीम सिद्दीकी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'हम सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, जापान और सिंगापुर के लिए आम का निर्यात करेंगे।' यह फर्म उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी आम निर्यातक है। उन्होंने कहा, 'पहली बार, हम पाकिस्तान से आम निर्यात का मुकाबला करने के लिए सऊदी अरब के लिए दो कंटेनर (लगभग 30 टन) भेज रहे हैं।' बेमौसम बारिश और ओलावृष्टिï की वजह से उत्तर प्रदेश में आम की फसल को 35-40 फीसदी नुकसान पहुंचा। आम के अलावा पूरे राज्य में अन्य रबी फसलों गेहूं और चने को भी नुकसान पहुंचा।

भारत के आम उत्पादक संघ के अध्यक्ष इंसराम अली ने कहा कि अधिक नुकसान की वजह से उत्तर प्रदेश में आम का उत्पादन घट कर 2.5-2.8 करोड़ टन रह जाने की आशंका है। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि इस बार लखनऊ क्षेत्र से आम निर्यात की रफ्तार धीमी रहेगी। इसके अलावा आम उत्पादक निर्यातकों के लिए राज्य सरकार के समर्थन के अभाव को लेकर भी चिंतित हैं। हालांकि सरकार 26 रुपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी (ब्रांड प्रमोशन और विमान भाड़े के लिए 13 रुपये शामिल) मुहैया कराती है, लेकिन निर्यातकों का कहना है कि यह पर्याप्त नहीं हैं। सिद्दीकी ने कहा, 'उत्तर प्रदेश में किसान महाराष्टï्र के विपरीत असंगठित हैं। महाराष्ट्र में आम उत्पादकों को पर्याप्त सरकारी समर्थन एवं रियायतें मिलती हैं।' आम उत्पादक आम-आधारित खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना के लिए रियायत की मांग लंबे समय से करते रहे हैं।  (BS Hindi)

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