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23 मई 2015

स्टॉकिस्टों की सक्रियता से ग्वार की कीमतों में तेजी की आषंका


ग्वार गम के निर्यात में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई
आर एस राणा
नई दिल्ली। खरीफ में मानसून कमजोर रहने की आषंका से ग्वार गम में स्टॉकिस्टों की सक्रियता तो बनी हुई है लेकिन ग्वार गम पाउडर की निर्यात मांग बढ़ नहीं रही है। जिससे ग्वार और ग्वार गम की कीमतों में तेजी-मंदी बनी हुई है। जून महीने में ग्वार गम पाउडर में निर्यात मांग बढ़ने की संभावना है जिससे ग्वार की कीमतें तेज हो सकती है। वित वर्ष 2014-15 में ग्वार गम पाउडर के निर्यात में 10 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 6.65 लाख टन का हुआ है।
ग्वार गम की निर्यातक फर्म के अधिकारी ने बताया कि चालू खरीफ में अल-नीनो के असर से मानसूनी बारिष सामान्य से कम होने की आषंका है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) भी कमजोर मानसून की भविष्यवाणी कर चुका है। इसलिए ग्वार में स्टॉकिस्टों की सक्रियता बनी हुई है। उन्होंने बताया कि ग्वार गम पाउडर में निर्यात मांग इस समय कम है जिससे ग्वार की कीमतें में आई तेजी स्थिर नहीं रह पा रही है। उन्होंने बताया कि आयातक देषों की पुचपरख पहले की तुलना में बढ़ी है तथा उम्मीद है जून से ग्वार गम पाउडर के निर्यात सौदों में तेजी आयेगी। ऐसे में आगामी दिनों में ग्वार की कीमतों में तेजी ही आने का अनुमान है।
ग्वार कारोबारी संजय सिघंला ने बताया कि ग्वार का स्टॉक किसानों के साथ ही बड़े स्टॉकिस्टों के पास ज्यादा है इसीलिए भाव में गिरावट आते ही ग्वार की आवक कम हो जाती है। षनिवार को जोधपुर मंडी में ग्वार के भाव 4,800 से 4,900 रुपये और ग्वार गम के भाव 11,600 से 11,700 रुपये प्रति क्विंटल रहे। उन्होंने बताया कि ग्वार गम पाउडर के निर्यात सौदे 2,000 डॉलर प्रति टन की दर से हो रहे हैं। षनिवार को उत्पादक मंडियों में ग्वार की दैनिक आवक घटकर 14,000 से 15,000 क्विंटल की रही।
एपीडा के अनुसार वित वर्ष 2014-15 में ग्वार गम उत्पादों का निर्यात बढ़कर 6.65 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित वर्ष की समान अवधि में 6.06 लाख का हुआ था। हालांकि मूल्य के हिसाब इस दौरान ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में 19.22 फीसदी की गिरावट आई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार वित वर्ष 2014-15 में ग्वार गम उत्पादों का निर्यात मूल्य के हिसाब से घटकर 9,479.91 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 11,735.39 करोड़ रुपये का हुआ था।......आर एस राणा

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