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15 जून 2015

निर्यात मांग कमजोर होने से हल्दी में और गिरावट की आषंका


आर एस राणा
नई दिल्ली। हल्दी में इस समय निर्यातकों के साथ ही घरेलू मसाला कंपनियां की मांग कमजोर बनी हुई है जिससे भाव में गिरावट आई है। सप्ताहभर में उत्पादक मंडियों में इसके भाव में 300 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आकर सोमवार को निजामाबाद मंडी में भाव 7,600 से 7,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
हल्दी कारोबारी पूनम चंद गुप्ता ने बताया कि रमजान का पवित्र महीना ष्षुरु होने के कारण खाड़ी देषों की आयात मांग कमजोर बनी हुई है, साथ ही घरेलू मसाला निर्माताओं की मांग भी कम है। इसीलिए हल्दी की कीमतों में गिरावट बनी हुई है। उन्होंने बताया कि रमजान का त्यौहार समाप्त होने के बाद जुलाई-अगस्त में निर्यात मांग बढ़ेगी, साथ ही इस दौरान त्यौहारी सीजन होने के कारण घरेलू मांग भी बढ़ जायेगी, जिससे हल्दी की कीमतों में सुधार आ सकता है।
हल्दी व्यापारी सुभाष चंद गुप्ता ने बताया कि मानसून के आगमन का असर भी हल्दी की कीमतों पर पड़ा है। उन्होंने बताया कि निजामाबाद मंडी में हल्दी की दैनिक आवक 1,500 से 2,000 बोरी (एक बोरी-70 किलो) की हो रही है जबकि भाव 7,600 से 7,700 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे है। उधर इरोड़ मंडी में दैनिक आवक 3,000 से 3,500 बोरी की हो रही है जबकि भाव 7,700 रुपये प्रति क्विंटल है। नांनदेड मंडी में बढ़िया क्वालिटी की हल्दी के भाव     7,200 से 8,000 रुपये प्रति क्विंटल हैं। उन्होंने बताया कि कमजोर मांग को देखते हुए चालू महीने में मौजूदा कीमतों में और भी गिरावट आने की आषंका है।
टरमीरक मर्चेट एसोसिएषन के सचिव के वी रवि ने बताया कि उत्पादक मंडियों में करीब 40 लाख बोरी से ज्यादा का स्टॉक हो चुका है। मंडियों में हल्दी का आवक पिछले साल की तुलना में 15 से 16 फीसदी ज्यादा हुई है। हालांकि चालू सीजन में हल्दी की पैदावार कम हुई थी लेकिन पिछले साल का बकाया स्टॉक ज्यादा था। अतः हल्दी की कुल उपलब्धता सालाना खपत से ज्यादा ही है।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित वर्ष 2014-15 के पहले नो महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान हल्दी के निर्यात में 8 फीसदी की बढ़़ोरती होकर कुल निर्यात 65,000 टन का हुआ है जबकि पिछले वित वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 60,442 टन का हुआ था। मसाला बोर्ड ने इस दौरान निर्यात का लक्ष्य 80,000 टन का रखा था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में हल्दी का भाव 3.53 डॉलर प्रति किलो है जबकि पिछले साल की समान अवधि में भी विष्व बाजार यही भाव थे।......आर एस राणा

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