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20 जुलाई 2015

निर्यात मांग से लालमिर्च की कीमतों में तेजी की संभावना

मध्य प्रदेष की लालमिर्च की नई फसल में देरी की आषंका
आर एस राणा
नई दिल्ली। निर्यातकों के साथ ही घरेलू मसाला कंपनियों की मांग से लालमिर्च की कीमतों में तेजी आने की संभावना है। आंध्रप्रदेष की उत्पादक मंडियों में लालमिर्च की दैनिक आवक पहले की तुलना में काफी कम हो गई है जबकि मध्य प्रदेष की आने वाली लालमिर्च की नई फसल में देरी की होने आषंका है।
लालमिर्च की निर्यातक फर्म के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रमजान का महीना समाप्त हो गया है इसलिए आगामी दिनों में लालमिर्च में खाड़ी देषों की आयात में बढ़ोतरी होगी, साथ ही घरेलू मसाला कंपनियों की मांग भी बढ़ेगी। इसलिए लालमिर्च की कीमतों में तेजी आने की संभावना है। उन्होंने बताया कि कुल मसाला निर्यात में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी लालमिर्च की है। विष्व बाजार इस समय लालमिर्च के भाव 2.91 डॉलर प्रति किलो है जबकि पिछले साल इस समय भाव 2.56 डॉलर प्रति किलो थे।
लालमिर्च कारोबारी एम मुंदड़ा ने बताया कि प्रमुख उत्पादक मंडियों गुंटूर और खम्मम में लालमिर्च की दैनिक आवक काफी कम हो गई है जबकि सौदे ज्यादा हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि गुंटूर में लालमिर्च की दैनिक आवक 25,000 से 30,000 बोरी (एक बोरी-45 किलो) की रह गई है जबकि खम्मम में दैनिक आवक 2,500 से 3,000 बोरियों की रह गई। गुंटूर मंडी में 334 क्वालिटी की लालमिर्च के भाव सोमवार को 8,800 से 9,300 रुपये, तेजा क्वालिटी के 9,200 से 9,900 रुपये, 341 क्वालिटी के भाव 9,000 से 9,800 रुपये और ब्याडगी क्वालिटी के 8,500 से 9,100 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे है। खम्मम मंडी में तेजा क्वालिटी की लालमिर्च के भाव 9,800 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
लालमिर्च व्यापारी हरीष जैन ने बताया कि चालू सीजन में आंध्रप्रदेष में लालमिर्च का 55 से 60 लाख बोरी का ही स्टॉक हुआ है जबकि मध्य प्रदेष में लालमिर्च की नई फसल की आवक करीब एक महीरो की देरी से अक्टूबर-नवंबर में बनेगी। हालांकि लालमिर्च के भाव मंडियों में पिछले साल की तुलना में 1,000 से 1,500 रुपये प्रति क्विंटल पहले ही उंचे बने हुए हैं लेकिन अगस्त में मांग बढ़ने की संभावना है जिससे और भी तेजी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित्त वर्ष 2014-15 में देष से 347,000 टन लालमिर्च का निर्यात हुआ था जोकि वित्त वर्ष 2013-14 के 312,500 टन से 11 फीसदी ज्यादा था।.......आर एस राणा

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