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14 जुलाई 2015

दार्जिलिंग पर भारी नेपाली चाय

धूप, बारिश, ऊंचाई और बर्फ से ढके हिमालय की धुंध की सही खुराक  और तालमेल के बाद ही विश्व प्रसिद्घ दार्जिलिंग चाय तैयार होती है। लेकिन क्या हो अगर आपका प्रतिद्वंद्वी भी इन्हीं सब खूबियों का फायदा उठाना शुरू कर दे? दार्जिलिंंग से सटा नेपाल पहले ही मुश्किलों से जूझ रहे यहां के दिग्गज चाय उत्पादकों को अब कड़ी चुनौती दे रहा है। गुडरिक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी ए एन सिंह कहते हैं, 'दार्जिलिंग चाय की स्थिति बहुत ही खराब है। निर्यात में गिरावट आई है और देसी बाजार में भी टाटा व एचयूएल अब दार्जिलिंग चाय पर बहुत निर्भर नहीं रह गए हैं क्योंकि नेपाल से चाय भारत में आ रही है। इस स्थिति में अब दार्जिलिंग चाय की मांग बहुत घट गई है।'

चाय की मांग बाजार में कैसी है, इसका अंदाजा काफी हद तक नीलामी के भाव से भी मिल जाता है। जून के अंत तक दार्जिलिंग चाय के दाम घटकर 350.86 रुपये प्रति किलोग्राम हो गए, जो पिछले साल की समान अवधि में 373.66 रुपये प्रति किलोग्राम थे। डंकन के एक वरिष्ठï अधिकारी ने बताया, 'टाटा ग्लोबल बेवरिजेस ने दार्जिलिंग चाय का उपयोग घटाकर एक-चौथाई कर दिया है। एचयूएल कभी भी दार्जिलिंग चाय की बहुत बड़ी खरीदार नहीं रही है, लेकिन उसने भी इस चाय की खरीद घटाकर आधी कर दी है।'

हालांकि टाटा ग्लोबल बेवरिजेस के प्रवक्ता कहते हैं कि वह दार्जिलिंग चाय की सबसे बड़ी खरीदार है। कंपनी दार्जिलिंग चाय की खरीद अपने टाटा टी गोल्ड ब्लेंड के लिए करती है। प्रवक्ता ने बताया, 'हम उद्योग की मदद कर रहे हैं और पिछले पांच साल के दौरान दार्जिलिंग से की गई हमारी चाय खरीद लगभग बराबर रही है।' चाय नीलाम करने वाली सबसे बड़ी और पुरानी कंपनी जे थॉमस ऐंड कंपनी के अनुसार कंपनियों की जरूरत के अनुसार ही उनकी ओर से मांग बढ़ती और घटती रहती है। जे थॉमस ऐंड कंपनी के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक कृष्ण कत्याल कहते हैं, 'यह सिर्फ चाय के मूल तक ही सीमित नहीं होता है।' इसके अतिरिक्त खरीदार भी नीलामी से दूर रहकर निजी स्तर पर चाय खरीद सकते हैं। आखिरकार ऐसी क्या बात है कि बेहद उत्कृष्टï मानी जाने वाली दार्जिलिंग चाय की जगह अब नेपाल से आने वाली सस्ती चाय ले रही है?
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नेपाल इस क्षेत्र में कदम रखने वाला नया देश है। वहां की मिट्टïी का बहुत अधिक दोहन नहीं हुआ है और पौधे भी युवा हैं। कत्याल बताते हैं, 'नेपाल और यहां के मौसम में बहुत अंतर नहीं है और युवा पौधों का अपना फायदा होता है। पहली बात, उनके पत्तों में चमक होती है। लेकिन दार्जिलिंग चाय एक नस्ल है और जब चाय की पत्तियां तोड़ी जाती हैं, तो इसकी गुणवत्ता बेजोड़ होती है।'  (BS Hindi)

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