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21 अगस्त 2015

रबी 2015-16 में दलहन पैदावार बढ़ाने के लिए 400 करोड़ का अतिरिक्त आवंटन


पचास-पचास फीसदी खर्च का वहन करना होंगा केंद्र और राज्यों को मिलकर
आर एस राणा
नई दिल्ली। देष को दलहन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र सरकार ने प्रयास तेज कर दिए हैं। रबी सीजन 2015-16 में दालों की पैदावार बढ़ाने के लिए कृषि मंत्रालय ने राज्यों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिषन (एनएफएसएम) के तहत अलग से 400 करोड़ रुपये आंविटत करने का फैसला किया है। इसमें केंद्र के साथ ही राज्य सरकारों को 50-50 फीसदी राषि का वहन करना होगा।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दालों के आयात में कमी लाने के लिए सरकार देष में दालों की पैदावार बढ़ाने पर जोर दे रही है। एनएफएसएम के अतंर्गत इसके लिए 400 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राषि का आवंटन किया जायेगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए देष के 19 राज्यों आंध्रप्रदेष, तेलंगाना, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटका, मध्य प्रदेष, महाराष्ट्र, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेष, पष्चिमी बंगाल, हिमाचल प्रदेष, जम्मू-कष्मीर और उत्तराखंड का चयन किया गया है। उन्होंने बताया कि चिंहित राज्यों में किसानों को प्रमाणित बीजों के साथ ही खाद आदि पर सब्सिडी दी जायेगी।
उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा राषि का आवंटन मध्य प्रदेष को 115 करोड़ रुपये, राजस्थान को 54 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र को 53 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेष को 40 करोड़ रुपये, कर्नाटका को 29 करोड़ रुपये, छत्तीसगढ़ को 17 करोड़ रुपये, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेष को क्रमषः 15-15 करोड़ रुपये, तेलंगाना को 13 करोड़ रुपये, बिहार को 12 करोड़ रुपये, उड़ीसा और गुजरात को क्रमषः 9-9 करोड़ रुपये, झारखंड को 6 करोड़ रुपये और हरियाणा को 4 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि 2015-16 में देष में 200.5 लाख टन दलहन की पैदावार का लक्ष्य तय किया है जिसमें रबी में 130 और खरीफ में 70.5 लाख टन उत्पादन का अनुमान है। दलहन की ज्यादा पैदावार रबी सीजन में होती है तथा रबी में दलहन की प्रमुख पैदावार चने की है। फसल सीजन 2014-15 में देष में दलहन की पैदावार 172 लाख टन की ही हुई थी। इस दौरान चने की पैदावार 71.7 लाख टन और अरहर की पैदावार 27.8 लाख टन की हुई है। दलहन की घरेलू पैदावार कम होने के कारण ही वित्त वर्ष 2014-15 में देष में रिकार्ड 45 लाख टन दालों का आयात हुआ है।......आर एस राणा

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