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19 अगस्त 2015

बासमती चावल के निर्यात में बढ़ोतरी के बावजूद कीमतों में भारी गिरावट


स्टॉकिस्टों को भारी घाटा, नए सीजन में भी कीमतों में तेजी की उम्मीद कम
आर एस राणा
नई दिल्ली। बासमती चावल के निर्यात में बढ़ोतरी के बावजूद भी कीमतों में गिरावट बनी हुई है। चालू वित्त वर्ष 2015-16 की पहली तिमाही में बासमती चावल के निर्यात में 1.46 लाख टन की बढ़ोतरी हुई है इसके बावजूद भी पूसा बासमती 1,121 सेला चावल की कीमतों में पिछले पंद्रह दिनों में करीब 450 से 500 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है।
एपीडा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू वित्त वर्ष 2015-16 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान देष से 11.32 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 9.86 लाख टन का निर्यात हुआ था। इस दौरान गैर-बासमती चावल का निर्यात घटकर 14.35 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 16.50 लाख टन का निर्यात हुआ था। उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष 2015-16 में बासमती चावल के निर्यात में पिछले साल की तुलना में करीब 8 से 10 फीसदी की बढ़ोतरी होने का अनुमान है।
बासमती चावल कारोबारी रामविलास खुरानियां ने बताया कि बासमती चावल की कीमतों में आई भारी गिरावट से स्टॉकिस्टों को भारी घाटा लग रहा है। उत्पादक मंडियों में पिछले पंद्रह दिनों में बासमती चावल की कीमतों में करीब 450 से 500 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। मंडियों में पूसा बासमती 1,121 सेला चावल का भाव 4,700-4,800 रुपये प्रति क्विंटल से घटकर 4,200 से 4,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। इस दौरान बासमती 1,509 सेला चावल का भाव 3,900-4,000 रुपये से घटकर 3,300 से 3,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गया।
चावल व्यापारी राजेष जैन ने बताया कि चालू फसल सीजन में चावल की बुवाई पिछले साल की तुलना में ज्यादा हुई है तथा मौसम भी फसल के अनुकूल है। ऐसे में चावल की पैदावार पिछले साल से ज्यादा होने का अनुमान है। वैसे भी इस समय उत्पादक मंडियों में धान का स्टॉक बचा हुआ है। ऐसे में नए सीजन में भी बासमती धान की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है। उन्होंने बताया कि पूसा बासमती 1,121 धान की कीमतें घटकर 2,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गई जबकि दस दिन पहले इसकी कीमतें 2,600 से 2,650 रुपये प्रति क्विंटल थी। इसी तरह से पूसा बासमती 1,509 की कीमतें 1,900 रुपये से घटकर 1,750 रुपये प्रति क्विंटल रह गई।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में धान की रौपाई बढ़कर 300.55 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रौपाई 288.15 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।,.......आर एस राणा

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