कुल पेज दृश्य

30 सितंबर 2015

दैनिक आवक बढ़ने से सोयाबीन की कीमतों में गिरावट


आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादक राज्यों में मौसम साफ होने से सोयाबीन की खरीफ फसल की दैनिक आवक बढ़ी है जिससे इसकी कीमतों में नरमी देखी गई। चालू खरीफ में सोयाबीन की बुवाई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है लेकिन कटाई के समय बेमौसम बारिष से फसल की उत्पादकता के साथ ही प्रति हैक्टेयर उत्पादन भी प्रभावित होने की आषंका है। ऐसे में सोयाबीन की कीमतों में अभी उठा-पटक जारी रहने का अनुमान है। वैसे भी सोया खली में निर्यात मांग में अब धीरे-धीरे सुधार आने का अनुमान है। मध्य प्रदेष की इंदौर मंडी में सोयाबीन के भाव 3,450 से 3,525 रुपये प्रति क्विंटल रहे तथा राजस्थान की कोटा मंडी में 3,100 से 3,600 रुपये और महाराष्ट्र की लातूर मंडी में 3,550 रुपये प्रति क्विंटल रहे। इंदौर मंे सोया खली के भाव 31,800 रुपये और कोटा मंे 32,200 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
इस समय सोया खली में निर्यात मांग काफी कमजोर है लेकिन घरेलू मांग पहले की तुलना में सुधरी है। सोया खली में निर्यात मांग कम होने के कारण सोयाबीन की कीमतों में भारी तेजी की संभावना नहीं है।
उद्योग के अनुमान के अनुसार चालू वित वर्ष 2015-16 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान देष से 35,857 टन सोया खली का ही निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित वर्ष की समान अवधि में सोया खली का निर्यात 1,10,259 टन का हुआ था। सोया खली के निर्यात में सबसे ज्यादा कमी जुलाई-अगस्त महीने में आई है। जुलाई महीने में देष से केवल 928 टन और अगस्त में 768 टन सोया खली का ही निर्यात हुआ है।
भारतीय बंदरगाह पर सोया खली के भाव अगस्त में घटकर 480 डॉलर प्रति टन रह गए, जबकि जुलाई महीने में इसके भाव 507 डॉलर प्रति टन थे। विष्व बाजार में सोया खली के दाम नीचे बने हुए है जिसका असर भारत से सोया खली के निर्यात पर पड़ रहा है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में सोयाबीन की बुवाई बढ़कर अभी तक 116.1 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 110.30 लाख हैक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हुई थी।
केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2015-16 के लिए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी 2,600 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2015-16 में देष में सोयाबीन की पैदावार घटकर 118.32 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसकी पैदावार 118.15 लाख टन की हुई थी।....आर एस राणा

कोई टिप्पणी नहीं: