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14 नवंबर 2015

दलहन के रकबे में इजाफा


देश के उत्तरी इलाकों में बारिश न होने की वजह से मिट्टïी में नमी की मात्रा में कमी आ गई है और धन के उत्पादन में देरी से रबी फसलों की बुआई में भी देरी हो रही है। अगर आने वाले हफ्तों में बुआई की रफ्तार में तेजी नहीं आई तो इसका असर उत्पादन पर पड़ सकता है। शुक्रवार तक करीब 1.232 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में रबी फसलों की बुआई हो चुकी है जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 23 फीसदी कम है। फिलहाल रबी की फसलों का रकबा मौजूदा सीजन के सामान्य रकबे से 65.2 लाख हेक्टेयर कम है। सर्वाधिक गिरावट रबी सीजन के दौरान पैदा की जाने वाली दो प्रमुख फसलों गेहूं और सरसो के रकबे में आई है। रबी की फसलों की बुआई सितंबर के आखिर और अक्टूबर की शुरुआत से चालू होती है और फसल का उत्पादन जनवरी से शुरू होता है।
बारिश पर निर्भर इलाकों में सरसो की बुआई मिट्टïी में नमी की कमी की वजह से प्रभावित हुई है। मिट्टïी में नमी की एक बड़ी वजह सर्दियों का मौसम शुरू होने से पहले होने वाली बारिश ना होना है। सिंचाईयुक्त इलाकों में गेहूं की बुआई पिछले साल के मुकाबले कम है क्योंकि खेतों में पिछले सीजन में पैदा किया गया धान अभी तक नहीं हटा है। भारतीय मौसम विभाग के आंकड़े दर्शाते हैं कि 1 अक्टूबर से 11 नवंबर के बीच भारत में सामान्य से 35 फीसदी कम बारिश हुई है जिसकी वजह से मिट्टïी में नमी की कमी देखने को मिल रही है।
कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक शुक्रवार तक करीब 18.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुआई हुई है, पिछले साल के मुकाबले गेहूं के रकबे में 142 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। पिछले साल तक इस अवधि के दौरान 42.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुआई हुई थी जबकि नवंबर के मध्य तक गेहूं 56 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि 15-20 नवंबर के बाद गेहूं की बुआई में प्रत्येक एक दिन की देरी का असर प्रति हेक्टयर उत्पादन पर पड़ेगा। इंटरनैशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईएफपीआरआई) के निदेशक (दक्षिण एशिया) पी के जोशी ने कहा, 'दरअसल सितंबर और अक्टूबर में कोई बारिश नहीं हुई है जिसकी वजह से बारिश पर निर्भर इलाकों में मिट्टïी में नमी की कमी देखने को मिल रही है जबकि सिंचाई वाले इलाकों में गेहूं की बुआई धान के उत्पादन में हुई देरी की वजह से टल रही है।Ó उन्होंने कहा कि गेहूं की बुआई में देरी का असर कुल उत्पादन पर भी पड़ सकता है। सरकार और आम लोगों के लिए एक अच्छी खबर दलहन से है, रबी की फसलों के तहत दलहन का रकबा बढ़ा है, इनमें से चना पिछले साल के मुकाबले अभी ही अधिक बोया जा चुका है। इससे संकेत मिलते हैं कि किसान बाजार और सरकार की ओर से कीमतों में बढ़ोतरी के संदेश के प्रति अपनी प्रतिक्रिया जाहिर कर रहे हैं। शुक्रवार तक दलहनों की बुआई 38.9 लाख हेक्टेयर में की जा चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 34.4 लाख हेक्टेयर में बुआई की गई थी। शुक्रवार तक चने का रकबा 24्र.4 लाख हेक्टेयर था जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 43 फीसदी अधिक है। (BS Hindi)

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