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04 नवंबर 2015

ईरान का बाजार खुलने से चढ़े चावल निर्यातकों के शेयर

भारत से खुशबूदार चावल के आयात पर ईरान के रोक हटाने की खबरों के बाद मंगलवार को बासमती चावल का निर्यात करने वाली कंपनियों के शेयरों की कीमत में 18 फीसदी तक बढ़त दर्ज की गई। देश से एक-तिहाई बासमती चावल का निर्यात ईरान को होता है। कोहिनूर फूड्स का शेयर 17.75 फीसदी चढ़कर 51.40 रुपये, एलटी फूड का 13.12 फीसदी चढ़कर 260.30 रुपये और केआरबीएल का शेयर 8 फीसदी उछलकर 224.70 रुपये पर बंद हुआ। दरअसल, ईरान ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान रिकॉर्ड आयात के बाद भारत से बासमती चावल के आयात पर स्वघोषित प्रतिबंध हटा दिया है। इसलिए ईरान सरकार ने भारत से चावल आयात के लिए परमिट जारी करना करना बंद कर दिया था। भारतीय निर्यातक पिछले ऑर्डर अब भी पूरे कर रहे हैं, लेकिन नए ऑर्डर बंद हो गए हैं जिससे ईरान को भारत का चावल निर्यात तेजी से घटा है।
कोहिनूर ब्रांड के बासमती चावल की उत्पादक और निर्यातक कोहिनूर फूड्स लिमिटेड के संयुक्त प्रबंध निदेशक गुरनाम अरोड़ा ने कहा, 'यह अच्छी खबर है क्योंकि इससे विïश्व में सुगंधित चावल के सबसे बड़े आयातक ईरान को बामसती चावल के निर्यात में फिर तेजी से बढ़ोतरी होगी।' कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2014-15 में ईरान को भारत का बासमती चावल का निर्यात घटकर 9.4 लाख टन रहा है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 14.4 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर रहा था। भारत का करीब 33 फीसदी बासमती चावल का निर्यात ईरान को होता है, इसलिए ईरान भारत के लिए अहम बाजार है। हालांकि कारोबारी सूत्रों का कहना है कि दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंधों में कड़वाहट की वजह से ईरान भारत से कम चावल का आयात कर रहा है। कटु राजनीतिक संबंधों के चलते ही पिछले एक साल से ईरान पाकिस्तान से बासमती चावल का आयात करने लगा था।
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक राजन सुंदरेशन ने कहा, 'ईरान के भारतीय बाजार में आने से भारत का बासमती चावल का निर्यात बढ़ेगा।' खबरों में कहा गया है कि र्ईरान को पिछले मॉनसून सीजन में पिछले कुछ वर्षों के सबसे भयंकर सूखे का सामना करना पड़ा, जिससे वहां कम चावल उत्पादन के आसार हैं। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2015 में ईरान का कुल चावल उत्पादन 17 लाख टन रहा, जो पिछले साल के उत्पादन 16 लाख टन से मामूली अधिक है। (BS Hindi)

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