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08 जून 2016

कृषि बाजार में नहीं आएगा ऊंझा का जीरा

हालांकि केंद्र सरकार देश भर में राष्ट्रीय कृषि बाजार को बढ़ावा देने की पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन गुजरात में एशिया की सबसे बड़ी जीरा मंडी- ऊंझा कृषि उपज विपणन समिति ने इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जुडऩे से इनकार दिया है। मंडी ने इसकी वजह बताते हुए कहा कि उसकी इतनी क्षमता नहीं है कि वह इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर रखने के लिए जीरे की भारी आवक को संभाल सके। मंडी के अधिकारियों ने कहा कि जब जीरे का सीजन होता है, उस समय रोजाना औसतन 1 लाख बोरी की आवक होती है। मंडी के लिए इतनी बड़ी मात्रा के नमूने लेना, प्रयोगशाला में परीक्षण और ग्रेडिंग करना संभव नहीं है। ऊंझा में जीरे के अलावा सौंफ, धनिये और ईसबगोल की भी बड़ी मात्रा में आवक होती है।
ऊंझा मंडी के चेयरमैन गौरांग पटेल ने कहा, 'गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश से 5,000 से अधिक किसान अपनी जिंसों विशेष रूप से जीरे की बिक्री के लिए ऊंझा मंडी में आते हैं। सबसे अधिक आवक के सीजन में जीरे की दैनिक आवक 1 से 1.5 लाख बोरी तक पहुंच जाती है। फिलहाल इतनी बड़ी मात्रा के नमूने लेना, प्रयोगशाला में जांच करवाना और ग्रेडिंग करना हमारे लिए संभव नहीं है। इसलिए हमने राष्ट्रीय कृषि बाजार के तहत ऑनलाइन होने से इनकार कर दिया है।' दिलचस्प है कि पहले गुजरात सरकार ने देश में ऊंझा से पहला ऑनलाइन बाजार शुरू करने की योजना बनाई थी। लेकिन ऊंझा मंडी के अधिकारी पहले ही एक रिपोर्ट में गुजरात सरकार को यह बता चुके थे कि यह मंडी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जुडऩे में सक्षम नहीं है। 
ऊंझा को वैश्विक स्तर पर जीरा कारोबार के प्रमुख केंद्र के रूप में जाना जाता है। इस समय मंडी में रोजाना जीरे की करीब 20,000 बोरियां आ रही हैं। ऊंझा मंडी में सौंफ, धनिये और इसबगोल की भी बड़ी मात्रा में आवक होती है। इस मंडी में हर साल विभिन्न जिंसों की 3 लाख टन से अधिक आवक होती है। हालांकि जब इस मंडी का बुनियादी ढांचा मजबूत हो जाएगा तो मंडी को राष्ट्रीय कृषि बाजार से जोड़ा जाएगा। पटेल ने कहा, 'जब बुनियादी ढांचा इतना मजबूत हो जाएगा कि हम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जुड़ सकते हैं तो हम निकट भविष्य में निश्चित रूप से राष्ट्रीय कृषि बाजार से जुडेंगे। ऐसा राष्ट्रीय कृषि बाजार के दूसरे चरण में हो सकता है। अगर हम बिना तैयार के जुड़े तो राष्ट्रीय कृषि बाजार का मकसद हासिल नहीं हो पाएगा।' ऊंझा मंडी के राष्ट्रीय कृषि बाजार से न जुडऩे की एक वजह कारोबारियों में कमीशन छिनने का डर भी है। मंडी के एक अधिकारी ने कहा, 'हमने राष्ट्रीय कृषि बाजार के तहत ऊंझा में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के बारे में बातचीत की, लेकिन कारोबारी कमीशन छिनने के डर से इसके पक्ष में नहीं थे।' (BS Hindi)

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