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19 दिसंबर 2016

कपास की आवक कम होने का असर निर्यात पर

आर एस राणा
नई दिल्ली। नोट बंदी के कारण कपास की दैनिक आवक उत्पादक मंडियों में सामान्य से कम हो रही है, जिसका असर इसके निर्यात पर पड़ रहा है। चालू फसल सीजन पहली अक्टूबर से मध्य दिसंबर तक करीब 22 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास के निर्यात सौदे हुए हैं लेकिन उत्पादक राज्यों की मंडियों में कपास की दैनिक आवक कम होने के कारण अभी तक केवल 5 लाख गांठ कपास की ही षिपमेंट हो पाई है।
जानकारों के अनुसार कपास निर्यात मुख्यतः अक्टूबर से मार्च के दौरान ही ज्यादा होता है, तथा पहले 60 लाख गांठ कपास के निर्यात का अनुमान था लेकिन जिस तरह आवक कम हो रही है उससे लगता है कि निर्यात 45 लाख गांठ का ही हो पायेगा। पिछले साल भारत से सबसे ज्यादा कपास का आयात पाकिस्तान ने 25 लाख गांठ का निर्यात था, जबकि चालू फसल सीजन में पाकिस्तान में कपास की पैदावार हुई है, ऐसे में पाकिस्तान द्वारा केवल 7 से 8 लाख गांठ कपास के आयात की ही संभावना है। पिछले साल अक्टूबर से दिसंबर के दौरान कुल 30 लाख गांठ कपास का निर्यात हुआ था, जिसमें से 15 लाख गांठ का आयात पाकिस्तान ने किया था।
नोटबंदी के बाद से मंडियों में कपास की आवक पिछले साल की तुलना में 25 से 30 फीसदी कम हो रही है। पिछले साल इन दिनों में औसतन कपास की दैनिक आवक 2 लाख गांठ से ज्यादा की हो रही थी, जबकि चालू सीजन में आवक 1.40 से 1.50 लाख गांठ की हो रही है। हालांकि अब किसान चैक से भुगतान ले रहे हैं, ऐसे में आगामी दिनों में दैनिक आवक बढ़ने का अुनमान है।
आगे कपास की दैनिक आवक बढ़ने पर मौजूदा भाव में भी कमी आने की आषंका है, क्योंकि चालू खरीफ में जहां कपास की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है, वहीं कपास का निर्यात पिछले साल की तुलना में कम रहेगा। इस समय कपास के भाव 38,500 से 39,200 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) चल रहे हैं तथा इन भाव में 1,000 से 1,500 प्रति कैंडी की कमी आ सकती है।...........आर एस राणा

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