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08 जुलाई 2017

उत्तर भारत के साथ महाराष्ट्र में कपास की बुवाई बढ़ी, गुजरात में घटी

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के साथ ही महाराष्ट्र में कपास की बुवाई बढ़ी है लेकिन गुजरात के साथ ही मध्य प्रदेश में पिछड़ रही है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में महाराष्ट्र में कपास की बुवाई बढ़कर 21.81 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 18.97 लाख हैक्टेयर में ही कपास की बुवाई हो पाई थी। उधर गुजरात में चालू खरीफ में अभी तक कपास की बुवाई केवल 12.68 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में 20.91 लाख हैक्टेयर में कपास की बुवाई हो चुकी थी।
तेलांगाना में भी चालू खरीफ में कपास बढ़कर अभी तक 12.78 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 8.33 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। पंजाब में खरीफ में कपास की बुवाई बढ़कर 3.82 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 2.56 लाख हैक्टेयर में ही कपास की बुवाई हुई थी। हरियाणा में चालू खरीफ में कपास की बुवाई 6.30 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 4.98 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। इसी तरह से राजस्थान में कपास की बुवाई चालू खरीफ में बढ़कर 4.61 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 3.51 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।
मध्य प्रदेश में चालू खरीफ में कपास की बुवाई अभी तक केवल 4.56 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 4.94 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। अन्य राज्यों में आंध्रप्रदेश में कपास की बुवाई 2.44 लाख हैक्टेयर में, कर्नाटका में 1.99 लाख हैक्टेयर में, उड़ीसा में 0.94 लाख हैक्टेयर में और तमिलनाडु 0.05 लाख हैक्टेयर में ही कपास की बुवाई हुई है।
मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में कपास की कुल बुवाई बढ़कर 71.81 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 67.88 लाख हैक्टेयर में हुई थी। जानकारों के अनुसार चालू सीजन में कपास की कुल बुवाई 8 से 10 फीसदी ज्यादा होने का अनुमान है जबकि उत्पादक राज्यों में मानसूनी बारिश अच्छी हो रही है तथा आगे भी मानसून सामान्य रहने का अनुमान है। ऐसे में कपास के उत्पादन में चालू खरीफ में बढ़ोतरी होने का अनुमान है। इसलिए आगामी दिनों में घरेलू बाजार में कपास की कीमतों में गिरावट ही आने का अनुमान है।................   आर एस राणा

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