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12 अगस्त 2017

केंद्र सरकार ने आयातित खाद्य तेलों के आयात शुल्क में की बढ़ोतरी, भाव में आयेगा सुधार

आर एस राणा
नई दिल्ली। घरेलू बाजार में तिलहनों की कीमतों में चल रही गिरावट रोकने के लिए केंद्र सरकार ने आयातित खाद्य तेलों के आयात शुल्क में बढ़ोतरी कर दी है जिससे घरेलू बाजार में तिलहनों के साथ ही खाद्य तेलों की कीमतों में सुधार आने का अनुमान है। शनिवार को जयपुर में सरसों के भाव में 25 रुपये की तेजी आकर भाव 3,880 से 3,885 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। उधर इंदौर मंडी में सोयाबीन के भाव सुधरकर 2,900 से 2,980 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार क्रुड पॉम तेल के आयात शुल्क को 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया है जबकि सोया रिफाइंड के आयात शुल्क को 12.5 फीसदी से बढ़ाकर 17.5 फीसदी कर दिया है। इसी तरह से आरबीडी पॉमोलीन पर आयात शुल्क को 15 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया है। अतः आयात शुल्क में बढ़ोतरी से आयातित खाद्य तेल महंगे हो जायेगे, जिसका असर घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों पर पड़ेगा, वैसे भी खाद्य तेलों में त्यौहारी मांग बनी हुई है।
सूत्रों के अनुसार आयातित खाद्य तेलों के आयात शुल्क में बढ़ोतरी से घरेलू बाजार में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है, क्योंकि जहां चालू सीजन में विश्व बाजार में सोयाबीन की रिकार्ड पैदावार होने का अनुमान है, वहीं मलेशिया और इंडोनेशिया में पॉम तेल का उत्पादन भी ज्यादा होने की संभावना है। पिछले दो महीने से आयातित खाद्य तेलों का आयात बढ़ने से घरेलू बाजार में उपलब्धता भी ज्यादा है। हालांकि चालू खरीफ में सोयाबीन के साथ ही मूंगफली की बुवाई में जरुर कमी आई है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में सोयाबीन की बुवाई घटकर 101.59 लाख हैक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल खरीफ सीजन में सोयाबीन की बुवाई 111.91 लाख हैक्टेयर में हुई थी। सोयाबीन की बुवाई में तो कमी आई है, लेकिन उत्पादक मंडियों में बकाया स्टॉक ज्यादा है। माना जा रहा है कि चालू सीजन में बकाया स्टॉक 20 लाख टन से ज्यादा का बचेगा जबकि पिछले साल केवल 4.50 लाख टन का ही बकाया स्टॉक बचा था।
मूंगफली की बुवाई भी चालू खरीफ में घटकर अभी तक केवल 36.50 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 42.02 लाख हैक्टेयर में इसकी बुवाई हुई थी। सनफ्लावर की बुवाई चालू खरीफ में 1.16 लाख हैक्टेयर में, शीसम सीड की बुवाई 11.36 लाख हैक्टेयर में तथा केस्टर सीड की बुवाई 3.01 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई क्रमशः 1.42 लाख हैक्टेयर, 12.74 लाख हैक्टेयर और 2.63 लाख हैक्टेयर में हुई थी।
चालू खरीफ में तिलहनों की बुवाई अभी तक केवल 154.29 लाख हैक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 171.15 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। तिलहनी फसलों के भाव उत्पादक मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे होने के कारण किसानों ने अन्य फसलों की बुवाई को तरजीह दी है, जिससे तिलहनों की कुल बुवाई में कमी आई।...........   आर एस राणा

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