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03 मार्च 2018

चना के आयात शुल्क में फिर बढ़ोतरी, क्या किसानों को मिल पायेगा उचित भाव


आर एस राणा

नई दिल्ली। किसानों को चना के उचित भाव दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने महीने भर में इसके आयात शुल्क में दूसरी बार बढ़ोतरी की है। केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसचूना के अनुसार चना के आयात पर आयात शुल्क को 40 फीसदी से बढ़ाकर 60 फीसदी कर दिया है। रिकार्ड उत्पादन अनुमान से घरेलू बाजार में चना के भाव में इससे हल्का सुधार तो आ सकता है लेकिन बड़ी तेजी की संभावना नहीं है।

चना के भाव एमएसपी से नीचे

शनिवार को दिल्ली की लारेंस रोड़ मंडी में चना के भाव 3,900 से 3,950 रुपये प्रति क्विंटल रहे। केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए चना का न्यनूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,400 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है। मुंबई में आस्ट्रेलिया से आया​तित चना के भाव शनिवार को 3,750 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

महीने भर में दूसरी बार बढ़ाया आयात शुल्क

​​केंद्र सरकार ने दिसंबर में चना के आयात पर 30 फीसदी का आयात शुल्क लगाया था, लेकिन घरेलू बाजार में इससे इसकी कीमतों में सुधार नहीं आया। अत: बंपर उत्पादन को देखते हुए फरवरी के शुरु में केंद्र सरकार ने चना के आयात पर शुल्क को 30 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया। इसके बावजूद भी भाव में सुधार नहीं आया, जिससे आयात शुल्क में एक बार फिर बढ़ोतरी करनी पड़ी। शाक्मभरी खाद्य भंडार के प्रबंधक राधाकिशन गुप्ता ने बताया कि चालू रबी में देश में चना का रिकार्ड उत्पादन 100 लाख टन से ज्यादा होने का अनुमान है जबकि उत्पादक राज्यों में बकाया स्टॉक भी बचा हुआ है इसलिए तेजी की संभावना नहीं है।

मध्य मार्च के बाद बढ़ेगी नई फसल की आवक

कर्नाटका के साथ ही महाराष्ट्र में चना की नई फसल की आवक शुरू हो चुकी है जबकि प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में नई फसल की आवक मध्य मार्च तक बढ़ जायेगी। राजस्थान की मंडियों में चना की नई फसल की आवक अप्रैल में बनेगी। कर्नाटक और महाराष्ट्र की मंडियों में चना के भाव 3,500 से 3,800 रुपये प्रति​ क्विंटल चल रहे हैं।

रिकार्ड उत्पादन का अनुमान

कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चना का रिकार्ड 111 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान है जबकि फसल सीजन 2016-17 में इसका उत्पादन 93.8 लाख टन का ही हुआ था।

बुवाई में भारी बढ़ोतरी 

चालू रबी में चना की बुवाई बढ़कर 107.62 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 99.53 लाख हैक्टेयर में हुई थी। 



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